तनाव इंफाल घाटी के बाहरी इलाके में है और ग्रेटर इंफाल में लगभग शांति है। अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं।''
इंफाल: मणिपुर में दो महीने से ज्यादा वक्त तक चली जातीय हिंसा के कारण बंद रहने के बाद स्कूल बुधवार को फिर से खुल गए।. स्कूल आने वाले बच्चे उत्साहित थे लेकिन ज्यादातर संस्थानों में पहले दिन उपस्थिति बहुत कम रही। विद्यार्थियों के अभिभावकों ने कक्षाएं फिर से शुरू करने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने सोमवार को पांच जुलाई से पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के स्कूल फिर से खोले जाने की घोषणा की थी। यूनेको स्कूल की दूसरी कक्षा में पढ़ी रही एक छात्रा के पिता उपेन्द्र पुखरामबम ने कहा, ''मैंने अपने बच्चों को स्कूल भेजा। तनाव इंफाल घाटी के बाहरी इलाके में है और ग्रेटर इंफाल में लगभग शांति है। अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं।''
पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत करने वाले ज्यादातर छात्र स्कूल वापस लौटकर काफी खुश दिखाई दिए। पहली कक्षा की छात्रा लिन्थोई ने कहा, ''मैं बहुत खुश हूं। आखिरकार, दो महीने तक इंतजार करने के बाद अपने दोस्तों और शिक्षकों से मिल पाउंगी। इसके अलावा, मैं नई चीजें भी सीखूंगी।'' उसने कहा कि स्कूल बंद होने की वजह से उसकी जिंदगी बहुत ज्यादा नीरस और आलस्यपूर्ण हो गई थी।
बहुत से छात्रों का कहना है कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि अगर हालात तनावग्रस्त बने रहते हैं तब भी रोजाना कम से कम कुछ घंटों के लिए स्कूल खुले रहें। चौथी कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता भाबेश शर्मा ने उम्मीद जताई कि हालात सामान्य बने रहें ताकि कक्षाएं निरंतर चलती रहें।
उन्होंने कहा ‘‘ मैं उम्मीद जताता हूं कि सब ठीक रहेगा। शिक्षा बहुत जरूरी है और मुझे उम्मीद है कि राज्य में शांति वापस लौटेगी।’’
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों की सुरक्षा अभी भी चिंता का विषय है। पाचंवी कक्षा के एक बच्चे के पिता लैशराम इबोचौबा ने कक्षाओं को फिर से शुरू करने के सरकार के फैसले की सराहना की।
उन्होंने कहा ‘‘ मुझे उम्मीद है सरकार किसी भी अप्रिय घटना के मद्देनजर छात्रों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी।’’
उन्होंने कहा ‘‘ मुझे अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कोई डर नहीं है क्योंकि स्कूल इंफाल के मध्य में स्थित है। लेकिन अगर सरकार छात्रों की सुरक्षा के लिए इंतजाम करती है तो यह बहुत ही अच्छा होगा।’’ वान्गखेई उच्च विद्यालय की प्रधान अध्यापिका आर के रंजीता देवी ने कक्षाओं को फिर से शुरू करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया।
रंजीता ने कहा, ''मई के पहले सप्ताह से स्कूल बंद होने की वजह से ज्यादातर छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे।'' उन्होंने कहा कि उनके स्कूल में पहले दिन की उपस्थिति केवल 10 फीसदी के आस-पास रही। रंजीता ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में छात्रों की संख्या में इजाफा होगा।
उन्होंने कहा ‘‘ हम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। उन्हें नया ज्ञान अर्जित करने की जरूरत है। इसलिए हमें नियमित रूप से कक्षाएं जारी रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए।’’
रंजीता ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा के लिए स्कूल जरूरी कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कक्षाओं के दौरान कोई हिंसक घटना होती है तो किसी भी छात्र को घर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ‘‘हम छात्रों को घर जाने की इजाजत तभी देंगे जब उनके परिजन उन्हें (छात्रों को) खुद लेने आएंगे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेट सेवा निलंबित होने की वजह से ऑनलाइन कक्षाएं भी संभव नहीं हैं। ‘‘इसलिए छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए हम नियमित कक्षाओं के दौरान ही उन्हें गृह कार्य आदि देंगे।’’
सेंट जार्ज स्कूल की प्रधानाचार्य सिस्टर बिंदा ने कहा, ''पहले दिन कक्षाओं के लिए 100 से भी कम छात्र स्कूल पहुंचे लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ेगी।''
उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्कूलों में राहत केंद्र चल रहे हैं और इंफाल में कुछ स्कूलों में केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा ‘‘इस तरह के हालात में चीजों को सामान्य होने में थोड़ा और वक्त लगेगा। अपनी ओर से भी हमें ऐहतियात बरतनी होगी।’’