सरकार ने देश को इस साल के आखिर तक खसरे से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।
इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में स्वास्थ्य विभाग को पिछले एक महीने के भीतर खसरे के 47 मामले मिले हैं और चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 83 प्रतिशत लोगों को इस संक्रामक बीमारी से बचाव के टीके की एक भी खुराक नहीं दी गई थी। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. तरुण गुप्ता ने सोमवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया, ‘‘हमें पिछले एक महीने में खसरे के 47 मामले मिले हैं। इनमें छह महीने के बच्चे से लेकर 19 साल का युवक शामिल है।’’
उन्होंने बताया कि इन 47 संक्रमितों में से केवल आठ लोगों को उनके परिजनों ने खसरे से बचाने वाले टीके की पहली खुराक दिलवाई थी, जबकि बाकी 39 व्यक्तियों को टीके की एक भी खुराक नहीं दी गई थी।
गुप्ता ने बताया कि जिले के खसरा प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग का सर्वेक्षण और टीकाकरण जारी है। उन्होंने बताया, "जन मानस में खसरे के टीके के प्रति आज भी भ्रांतियां हैं। बच्चों को खसरे का टीका लगवाने के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए हम राजनेताओं और धर्मगुरुओं की भी मदद ले रहे हैं।"
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर शहर में दिमागी बुखार के इलाज के दौरान खसरे से संक्रमित पाए गए 11 वर्षीय किशोर की 14 फरवरी की देर रात मौत हो गई थी और यह इस साल राज्य में खसरे से पीड़ित किसी बच्चे के दम तोड़ने का पहला मामला था।
उन्होंने बताया कि मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले लड़के को उसके परिजनों ने खसरे से बचाव का टीका नहीं लगवाया था और उसे कई स्वास्थ्यगत समस्याएं होने से चिकित्सक उसकी जान नहीं बचा सके थे। गौरतलब है कि सरकार ने देश को इस साल के आखिर तक खसरे से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।