रक्षा एवं सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि यह जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की पाकिस्तान द्वारा की जा रही कोशिश है।
जम्मू : सुरक्षा विशेषज्ञों ने जम्मू कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों में पिछले 18 महीनों में सैनिकों के अधिक संख्या में हताहत होने का जिक्र करते हुए, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए इन क्षेत्रों में खुफिया तंत्र को मजबूत करने सहित रणनीति में बदलाव करने की अपील की है। इन दोनों जिलों में 11 अक्टूबर 2021 से हुए आठ आतंकी हमलों में कुल 26 सैन्यकर्मी शहीद हुए हैं, जिनमें तीन अधिकारी और पांच ‘पैराट्रूपर’ भी शामिल हैं।
रक्षा एवं सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि यह जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की पाकिस्तान द्वारा की जा रही कोशिश है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस पी वैद्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अक्टूबर 2021 से हुए घटनाक्रमों पर गौर करने पर आप पाएंगे कि जम्मू क्षेत्र में अशांति पैदा करने और आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए एक समन्वित कोशिश की गई है।’’
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने के बाद से पूरा आतंकी ढांचा उखड़ गया है और ज्यादातर आतंकियों तथा उनके नेतृत्व का सफाया किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की लक्षित हत्याओं सहित आतंकियों की कई रणनीतियों को सुरक्षा एजेंसियों ने नाकाम किया है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस प्रमुख ने कहा कि आतंकवादी कश्मीर में कार्रवाई का सामना करने के बाद अब पीर पंजाल क्षेत्र में राजौरी-पुंछ इलाके को निशाना बना रहे हैं।
आतंकवादियों ने 11 अक्टूबर 2011 को पुंछ जिले के सूरनकोट में एक बड़ा हमला किया था, जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गये थे। एक अन्य हमले में 13 अक्टूबर को डेरा की गली इलाके में दो जवान शहीद हो गये थे। इसके दो हफ्ते बाद, दो सैनिकों और एक अधिकारी की राजौरी के कलाल में एक आईईडी विस्फोट में जान चली गई थी।
क्षेत्र में हुई अन्य प्रमुख आतंकी घटनाओं में 11 अगस्त 2022 को राजौरी में एक सैन्य शिविर पर हुआ फिदायीन हमला शामिल है, जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गये थे। भट्टा धुरियां में हुए एक अन्य हमले में पांच सैनिक शहीद हो गये थे। हालिया हमला पांच मई को हुआ, जब विशेष बल के पांच पैराट्रूपर शहीद हो गए।
रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) विजय सागर धीमान ने कहा, ‘‘जवान शहीद हो रहे हैं। लोगों को असुविधा हो रही है। वे प्रशासन में विश्वास खो रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां हमलों को रोकने के लिए निर्धारित समय से अधिक देर तक काम कर रही हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि क्षेत्र में रणनीति बदलने और खुफिया तंत्र मजबूत करने तथा आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने की जरूरत है। धीमान ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि आतंकी भी जरूरतों के अनुसार अपनी रणनीति में बदलाव करते हैं।