अध्ययन में पाया गया कि किसानों का मानना है कि धान की पराली के प्रबंधन को अपनाने से उन पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है।
चंडीगढ़: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने एक नए अध्ययन में छोटे किसानों को धान की पराली के प्रबंधन के उपायों को अपनाने और संक्षिप्त अवधि की फसल किस्मों का रकबा(क्षेत्र) बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहन राशि देने सहित अन्य सिफारिशें की गई हैं।
अध्ययन में पाया गया कि किसानों का मानना है कि धान की पराली के प्रबंधन को अपनाने से उन पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। साथ ही, उनमें से कई इस बात से भी अनजान थे कि पराली का खेत में ही प्रबंधन करने से उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों का उपयोग कम करना पड़ता है।
लुधियाना स्थित पीएयू के अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र विभाग ने पंजाब में पराली प्रबंधन के लिए कृषि के मशीनीकरण को बढ़ावा देने के वास्ते केंद्रीय क्षेत्र की योजना का प्रभाव आकलन अध्ययन किया। पीएयू के प्रधान अर्थशास्त्री संजय कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले साल मार्च में अध्ययन करने का निर्देश दिया था। कुमार ने कहा, “राज्य के कृषि विभाग द्वारा वित्त पोषित इस अध्ययन में राज्य के 22 जिलों के 110 गांवों को शामिल किया गया ।”
अध्ययन में 2,160 किसानों का चयन किया गया, जिनमें धान की पराली प्रबंधन के उपाय अपनाने वाले 1,320 लोग थे। अध्ययन के मुताबिक, 90 फीसदी किसान इस बात से वाकिफ थे कि धान की पराली जलाने से वायु गुणवत्ता खराब हो जाती है।
अध्ययन यह भी संकेत देता है कि लगभग सभी किसानों का मानना है कि पराली प्रबंधन को अपनाने से उन पर वित्तीय बोझ बढ़ता है क्योंकि पराली प्रबंधन यंत्रों का किराया अधिक होता है। अध्ययन में शामिल किये गये 95 प्रतिशत से अधिक किसानों ने यह भी बताया कि धान पराली प्रबंधन (पीएसएम) श्रमिकों का उपयोग बढ़ाता है और इसलिए, इसमें पराली प्रबंधन की लागत ज्यादा आती है।
अध्ययन में कहा गया है, ‘‘97 प्रतिशत से अधिक किसानों का मानना है कि पीएसएम को अधिक हॉर्स पावर वाले ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। 80 प्रतिशत से अधिक किसान ऐसे ट्रैक्टर और पीएसएम मशीनरी तथा उन्हें संचालित करने के लिए कुशल मानवशक्ति के अभाव की भी शिकायत करते हैं।”.
अध्ययन यह भी बताता है कि 20 प्रतिशत से भी कम किसानों का मानना है कि पीएसएम उर्वरक के उपयोग को कम करता है। केवल एक-तिहाई का मानना है कि यह कीटनाशक या खरपतवारनाशी की खपत को घटाता है।.
अध्ययन में कहा गया है कि पराली प्रबंधन को अपनाने की सिफारिशों के बीच छोटे किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते विशेष प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए। साथ ही, उन्हें प्रशिक्षण देने पर भी जोर दिया गया।