Dussehra 2025: दहन नहीं पूजा, भारत में इन 7 जगहों पर नहीं जलाया जाता पुतला

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Dussehra 2025: दहन नहीं पूजा,भारत में इन 7 जगहों पर नहीं जलाया जाता पुतला
Published : Oct 2, 2025, 11:49 am IST
Updated : Oct 2, 2025, 11:49 am IST
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 Idols of ravan are not burnt at these 7 places in India news in hindi
Idols of ravan are not burnt at these 7 places in India news in hindi

जहां पूरे देश में रावण दहन किया जाता है, वहीं  कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण की पूजा की जाती है.

Dussehra 2025: दशहरा, हर वर्ष शारदीय नवरात्र के समापन की दशमी तिथि को मनाया जाता है. दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, जो कि बुराई का अंत और अच्छाई की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।  इस दिन भगवान राम, मां दुर्गा और अस्त्रों की पूजा की जाती है और पूरे देश में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है । जहां पूरे देश में रावण दहन किया जाता है, वहीं  कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण की पूजा की जाती है, न कि उसका दहन। आइए जानते हैं ऐसी कुछ जगहों के बारे में और इसके पीछे के कारणों को समझते हैं। (Idols of ravan are not burnt at these 7 places in India news in hindi) 

बिसरख 

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में रावण का मंदिर बना है और लोग यहां पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रावण की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिसरख गांव रावण का मायका था। कहा जाता है कि मंदसौर का मूल नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का गांव था। ऐसे में मंदसौर रावण का ससुराल बन गया। इसलिए दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण का पुतला जलाने की बजाय उसकी पूजा की जाती है।

कानपुर 

उत्तरप्रदेश के कानपुर में भी रावण को पूजा जाता है, जहां दशानन मंदिर बना हुआ है. यह दशानन मंदिर करीब 135 साल पुराना है. रावण का यह मंदिर भक्तों के लिए केवल दशहरा पर खोला जाता है, बाकी शेष 364 दिन रावण की मूर्ति ढकी रहती है। इस मंदिर में भक्तगण रावण की प्रार्थना करने, तेल के दीपक जलाने और 10 सिरों वाले राक्षसराज रावण से बुद्धि और शक्ति का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्रित होते हैं।

जोधपुर

राजस्थान के जोधपुर में एक अनोखा मंदिर है, जहां रावण की पूजा की जाती है।यहां के कुछ लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे के दिन उसकी पूजा करते हैं, न कि दहन।

मंदसौर 

मध्य प्रदेश राज्य का मंदसौर में इन्हीं स्थानों में से एक है, जहां रावण दहन की बजाए दशानन की उपासना की जाती।दरअसल, मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था, जिसकी वजह से यह स्थान रावण का ससुराल कहलाया. इसलिए, पंरपरा के मुताबिक क्योंकि दामाद पूजा जाता है तो रावण को भी इस स्थान पर पूजा जाता है।

रावनग्राम गांव 

रावनग्राम गांव भी मध्य प्रदेश में स्थित है, जहां रावण का पुतला फूंका नहीं जाता है बल्कि पूजा जाता। इस स्थान पर दशानन रावण को भगवान के रूप में पूजा जाता है। मान्यतानुसार, इस गांव में रावण की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित हो रखी है।

काकिनाडा

आंध्रप्रदेश के काकिनाडा में रावण का एक अनोखा मंदिर है, जहां लोग उसे एक शक्तिशाली और सम्राट के रूप में पूजते हैं।यहां के लोग भगवान राम की महत्ता को स्वीकार करते हैं, लेकिन रावण को एक अलग दृष्टिकोण से देखते हैं। इस मंदिर में रावण की पूजा भगवान शिव के साथ की जाती है।

कांगड़ा 

जिला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भी रावण मंदिर बना हुआ है। कांगड़ा जिले के एक कस्बे में रावण की पूजा की जाती है, क्योंकि यहां के लोगों का मानना है कि रावण ने भगवान शिव की तपस्या करके मोक्ष प्राप्त किया था।इस कारण यहां के लोग रावण का सम्मान करते हैं और दशहरे के दिन उसकी पूजा करते हैं।

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