पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल के निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर, 90 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल के निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर, 90 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
Published : Dec 12, 2025, 12:14 pm IST
Updated : Dec 12, 2025, 12:15 pm IST
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Former Home Minister Shivraj Patil passes away, breathed his last at the age of 90
Former Home Minister Shivraj Patil passes away, breathed his last at the age of 90

कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का लातूर में 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

Former Home Minister Shivraj Patil Passes Away: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार को लातूर में 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने सुबह करीब 6:30 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली। लंबी बीमारी के कारण वे पिछले कुछ समय से घर पर ही देखरेख में थे। लंबे राजनीतिक करियर में शिवराज पाटिल ने कई महत्वपूर्ण पद संभाले, जिनमें लोकसभा अध्यक्ष और केंद्र सरकार में कई प्रमुख मंत्रालय शामिल हैं। वे लातूर लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने गए थे।

उनके निधन से महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति में शोक की लहर है। शिवराज पाटिल को भारतीय राजनीति में एक शांत, संयमित और अत्यंत मेहनती नेता के रूप में जाना जाता था।

'शिवराज पाटिल जी के निधन से दुखी हूं'-PM मोदी 

PM नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "श्री शिवराज पाटिल जी के निधन से दुखी हूं। वे एक अनुभवी नेता थे, जिन्होंने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में MLA, MP, केंद्रीय मंत्री, महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर और लोकसभा के तौर पर काम किया। वे समाज की भलाई में योगदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। पिछले कुछ सालों में मेरी उनसे कई बार बातचीत हुई, सबसे हाल की मुलाकात तब हुई जब वे कुछ महीने पहले मेरे घर आए थे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। ओम शांति।"

 

 

राष्ट्रपति ने निधन पर जताया शोक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिवराज पाटिल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "वरिष्ठ राजनीतिक नेता शिवराज पाटिल जी के निधन से हमने एक प्रमुख जन व्यक्तित्व को खो दिया है। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन के दौरान उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल और दीर्घकालिक संसद सदस्य सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। उनके परिवार, शुभचिंतकों और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।" 

राहुल गांधी ने बताया अपूरणीय क्षति

कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पाटिल के निधन पर गहरी संवेदना जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है और पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। जनसेवा के प्रति उनका समर्पण, राष्ट्र के लिए उनके योगदान हमेशा याद किए जाएंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं पूरे पाटिल परिवार, उनके शुभचिंतकों और समर्थकों के साथ हैं।"

 

 

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पाटिल के निधन पर कहा, "शिवराज पाटिल जो भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहे। उनका निधन देश और राज्य के लिए बहुत ही दुखद समाचार है। उन्होंने लंबा राजनीतिक सफर देखा है। उन्होंने राज्य में काम किया, केंद्र में काम किया, मंत्री के रूप में काम किया और लोकसभा अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। मैं समझता हूं कि ऐसे अनुभवी नेता का जाना राष्ट्र और राज्य के लिए बहुत दुखदायी समय है।"

शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को लातूर जिले के चाकुर में हुआ था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले आयुर्वेद का अभ्यास किया और फिर मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ली. राजनीति में उनका सफर 1967 में शुरू हुआ, जब उन्होंने लातूर नगर पालिका में काम संभाला. यह शुरुआत आगे चलकर एक बड़े राजनीतिक करियर की नींव बनी. 
शिवराज पाटिल का राजनीतिक सफर कैसा रहा?

1980 में वे पहली बार लातूर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, और इसके बाद लगातार सात बार इसी सीट से जीत हासिल की। यह उपलब्धि उन्हें महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल करती है। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।

शिवराज पाटिल 1991 से 1996 तक लोकसभा स्पीकर रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लोकसभा के आधुनिकीकरण, कंप्यूटरीकरण, कार्यवाही के सीधा प्रसारण और नई लाइब्रेरी बिल्डिंग के निर्माण जैसी पहल को गति दी। यह अवधि भारतीय संसद में तकनीकी और प्रशासनिक बदलावों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय मानी जाती है।

2004 में लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें केंद्र में गृह मंत्री नियुक्त किया गया। हालांकि, 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्हें पंजाब का राज्यपाल और चंडीगढ़ का प्रशासक बनाया गया, जहाँ उन्होंने 2010 से 2015 तक सेवाएं दीं।

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