दूध की थैली के बराबर निकला बच्ची का वजन, 6 महीने में ही हुई डिलीवरी, डॉक्टर बता रहे..

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दूध की थैली के बराबर निकला बच्ची का वजन, 6 महीने में ही हुई डिलीवरी, डॉक्टर बता रहे..
Published : Jan 7, 2023, 12:46 pm IST
Updated : Jan 7, 2023, 12:46 pm IST
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The weight of the baby girl turned out to be equal to the milk bag, the delivery took place in 6 months, doctors are telling ..
The weight of the baby girl turned out to be equal to the milk bag, the delivery took place in 6 months, doctors are telling ..

बच्ची का जन्म पिछले साल मई को हुआ था. बच्ची का नाम शिवन्या है. शिवन्या का जन्म 6 महीने में ही हो गया था और जन्म के समय इसका वज़न केवल 400 ग्राम ही था..

New  Delhi : पुणे के एक चाइल्ड केयर अस्पताल में 24 हफ्ते मतलब छह महीने में ही एक बच्ची ने जन्म ले लिया था, जिसका वज़न सिर्फ़ 400 ग्राम ही था.  डॉक्टरों के कहने के मुताबिक यह बच्ची दूध की थैली के वज़न से भी कम वज़न की थीं इस बच्ची का जन्म पिछले साल मई को हुआ था. इस बच्ची का नाम शिवन्या है.  शिवन्या का जन्म 6  महीने  में ही हो गया था और जन्म के समय इसका वज़न केवल 400 ग्राम ही था जो की दूध की थैली के बराबर था. इतने कम वज़न के साथ पैदा होने के कारण शिवन्या का नाम रिकॉर्ड बुक में शामिल किया गया हैं।

 डॉक्टर ने शिवन्या के जन्म के बाद बताया की इसका जन्म समय  से पहले हुआ हैं जिसे आम भाषा में प्रीमैच्योर { Premature Birth} डिलीवरी भी कहा जाता हैं. इस प्रीमैच्योर डिलीवरी के चलते शिवन्या भारत में  सब से छोटी बच्ची हैं. डॉक्टर्स ने बताया कि शिवन्या को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है. शिवन्या अपने माता-पिता के साथ वाकड में रहती है और वह अब स्वस्थ हो चुकी है और धीरे-धीरे बढ़ रही हैं. 

शिवन्या का जन्म 21 मई 2022 में हुआ था. प्रीमैच्योर डिलीवरी के चलते शिवन्या को 94 दिनों के लिए डॉक्टर्स की निगरानी में अस्पताल मैं  रखा गया जिसके बाद 23 अगस्त 2022 को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था.  शिवन्या को जब अस्पताल से छुट्टी मिली तो उसका वजन 2,130 ग्राम (2 किलो 13 ग्राम) था. डॉक्टर्स ने यह भी बताया था  कि इस तरह के बच्चों की जीने की संभावना कम यानी 0.5 फीसदी होती है. जिन बच्चों का जन्म प्रेग्नेंसी के 37 से 40 हफ्तों के बाद होता है. उनका वजन  कम से कम 2,500 ग्राम  (2.5 किलो) तक ही होता है. 
 
शिवन्या के पिता ने बताया कि, अब वह बाकी हेल्दी और दूसरे नवजात शिशुओं की तरह ही है. उसका वजन 4.5 किलो हो गया है और वह अच्छे से खाना भी खा रही है. पुणे स्थित, सूर्या मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल के चीफ नोनटोलॉजिस्ट डॉक्टर सचिन शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था की अगर हम प्रेग्नेंसी पीरियड और जन्म के समय के वजन को जोड़ते हैं तो शिवन्या काफी ज्यादा छोटी है.  

उनका कहना था की ऐसे बच्चो का जीना कम होता है पर शिवन्या एक दम ठीक और हैल्थी हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि मां में जन्मजात असमानताओं के चलते शिवन्या की प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई. डॉक्टर्स ने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान शिवन्या की मां  के दो यूट्रस थे. डबल यूट्रस एक काफी दुर्लभ जन्मजात असमानता होती है.  इस स्थिति में किसी महिला के भ्रूण में, गर्भाशय दो छोटी नलियों के रूप में बंट जाता है और इन दोनों नलियों में से एक नली का साइज दूसरी नली की तुलना में  काफी छोटा होता है. शिवन्या की मां के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

 शिवन्या की मां के भ्रूण में भी गर्भाशय दो छोटी नलियों में बंट गया और शिवन्या दोनों नलियों में से छोटी नली में ही बट गया जिस कारण शिवन्या का जन्म समह से पहले ही हो गया एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह कहा गया हैं की जिन भी बच्चों की प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है- खासतौर पर जिन नवजात शिशुओं का वजन 750 ग्राम से कम होता है वह काफी नाजुक होते हैं और उनकी देखभाल बाहर भी वैसे ही करनी पड़ती है जैसे भ्रूण के अंदर की जाती है.

Location: India, Delhi, New Delhi

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ROZANASPOKESMAN

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