उद्घाटन के मौके पर केंद्र ने सभी सांसदों को भारत के संविधान की कॉपी दी जिससे एक नया मुद्दा उठ गया।
RSFC (Team Mohali) -19 सितंबर 2023 को देश ने पुराने संसद भवन से नए भवन तक का सफर शुरू किया। इस मौके पर केंद्र सरकार की ओर से संसद की नई इमारत का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर केंद्र ने सभी सांसदों को आमंत्रित किया और उन्हें इस ऐतिहासिक मौके का गवाह बनाया।
"नई इमारत... एक नया मुद्दा"
उद्घाटन के मौके पर केंद्र ने सभी सांसदों को भारत के संविधान की कॉपी दी जिससे एक नया मुद्दा उठ गया। ये संविधान से छेड़छाड़ का मामला था। संसद सत्र के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बाहर आए और मीडिया से बात करते हुए मोदी सरकार पर संविधान की कॉपी के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया।
चौधरी ने आरोप लगाया कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन सांसदों को दी गई संविधान की कॉपी में प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्षता' और 'समाजवादी' शब्द गायब थे।
काँग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का बड़ा बयान , नई संविधान की किताब में हेरफेर किया गया है , जब मैंने इस किताब को पढ़ा तो मुझे धर्म निरपेक्ष और समाजवाद शब्द गायब मिले ,
— Nargis Bano (@NargisBano70) September 20, 2023
अगर ऐसा है तो ये भारत के अल्पसंख्यको के लिए खतरे की घण्टी है , pic.twitter.com/5n3ApkvJLZ
अधीर रंजन चौधरी के अलावा अन्य नेताओं ने भी इस तरह मोदी सरकार पर निशाना साधा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेता विनय विशम ने कथित तौर पर शब्दों को हटाने को 'अपराध' करार दिया।
इस आरोप पर विपक्ष को जवाब देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कॉपी में संविधान की प्रस्तावना का मूल संस्करण था और ये शब्द बाद में संवैधानिक संशोधनों के बाद जोड़े गए थे। उन्होंने कहा, ''यह मूल प्रस्ताव के अनुरूप है जिसमें बाद में संशोधन किया गया था।”
"कॉपी से "समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता" शब्द गायब हैं
एक्टिविस्ट रोहिन भट्ट ने अपने एक्स अकाउंट से कॉपी की एक तस्वीर साझा की, जिसमें "समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता" शामिल नहीं था।
This is a copy of the original one that was being read. Black with gold embossing is what gives it away. Even my copy does not have the words socialist and secular. There are a lot of things that this government does to defile the constitution. This is not it. https://t.co/v49HD08o0S pic.twitter.com/6h72WOqbFf
— Rohin Bhatt????️???? (@BhattRohin) September 20, 2023
हमने नई कॉपी में प्रस्तावना और पुरानी कॉपी में प्रस्तावना का एक कोलाज बनाया जिसे नीचे देखा जा सकता है।
आपको बता दें कि एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संविधान के अंग्रेजी संस्करण की प्रस्तावना से ही समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द गायब हैं, जबकि हिंदी संस्करण में ये मौजूद हैं।
"अब बात करते हैं प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्षता' और 'समाजवादी' शब्दों के इतिहास के बारे में"
1976 में 42वें संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द जोड़े गए। यह बदलाव प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल (1975-1977) के दौरान लागू किया गया था।
समाजवाद का भारतीय संस्करण यूएसएसआर या चीन जैसे देशों से भिन्न था। इसमें सभी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण शामिल नहीं था, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर चयनात्मक राष्ट्रीयकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया था। यह भारत की आवश्यकताओं के अनुकूल समाजवाद का एक अनूठा रूप था।