वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने इन निर्णयों से खुद को अलग कर लिया।
Sukhbir Singh Badal News In Hindi: शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेता सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब में एक महत्वपूर्ण क्षण का सामना करना पड़ा, जहां उन्होंने बहुप्रतीक्षित तन्खैया फैसले के दौरान सिंह साहिबान द्वारा लगाए गए कई आरोपों को कबूल किया। सुनवाई में बादल और पिछली एसएडी सरकार के अन्य वरिष्ठ नेताओं से सत्ता में रहते हुए उनके कार्यों और निर्णयों पर सवाल पूछे गए।
सुखबीर सिंह बादल द्वारा स्वीकारोक्ति
कार्यवाही के दौरान सिंह साहिबानों ने कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे, जिनका सुखबीर सिंह बादल ने खुलकर जवाब दिया। उन्होंने निम्नलिखित बातों को खुले तौर पर स्वीकार किया:
- पंथिक मुद्दों की उपेक्षा: जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने अकाली सरकार के दौरान सिख हितों की उपेक्षा की है, तो बादल ने स्वीकार किया, "हां।"
- हिंसा में शामिल अधिकारियों की पदोन्नति: उन्होंने निर्दोष सिखों की हत्या के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को पदोन्नति देने और टिकट देने की बात कबूल की।
- राम रहीम को क्षमादान दिलाने में प्रभाव: उन्होंने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को क्षमादान दिलाने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग करने की बात स्वीकार की, जिसमें क्षमादान पर चर्चा के लिए जत्थेदारों को अपने निवास पर बुलाना भी शामिल था।
- बेअदबी के आरोपियों को संरक्षण: बादल ने बेअदबी की घटनाओं से जुड़े व्यक्तियों और संबंधित विरोध प्रदर्शनों के दौरान सिखों की शहादत का समर्थन करने की जिम्मेदारी स्वीकार की।
- बहबल कलां फायरिंग घटना: उन्होंने बहबल कलां फायरिंग मामले से निपटने में गलतियाँ करने की बात स्वीकार की।
- गोलक निधि का दुरुपयोग: बादल ने गोलक (धार्मिक प्रसाद) से धन का दुरुपयोग करने और प्रचार प्रयोजनों के लिए संसाधनों का दुरुपयोग करने की बात भी कबूल की।
कैबिनेट सदस्यों की जवाबदेही
सिंह साहिबान ने तत्कालीन शिअद मंत्रिमंडल के सदस्यों को निर्देश दिया कि यदि वे जांच के दायरे में आए निर्णयों में सुखबीर सिंह बादल का समर्थन करते हैं तो वे उनके साथ खड़े हों।
प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने शुरू में इसमें शामिल होने से इनकार किया और अलग खड़े रहे। हालांकि, जत्थेदार हरप्रीत सिंह और जत्थेदार रघबीर सिंह ने चंदूमाजरा के दावे का खंडन करने वाली खबरें पेश कीं। उनके इस आग्रह के बावजूद कि रिपोर्ट गलत थीं, सिंह साहिबान ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया। उन्हें श्री हरमंदिर साहिब परिसर का चक्कर लगाने और संगत को संबोधित करने का निर्देश दिया गया, जिसमें कहा गया कि वे विवादास्पद निर्णयों का हिस्सा नहीं थे।
बिक्रम सिंह मजीठिया का पक्ष
वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने इन निर्णयों से खुद को अलग कर लिया। हालांकि, उन्होंने इन कार्रवाइयों के खिलाफ आवाज उठाने में अपनी विफलता को स्वीकार किया और आवश्यक समझे जाने वाले किसी भी दंड को स्वीकार करने की पेशकश की। इसी तरह, महेशिंदर सिंह ग्रेवाल ने पिछली अकाली सरकार में अपनी भूमिका को स्वीकार करते हुए जवाबदेही स्वीकार करने की तत्परता व्यक्त की।
अन्य नेताओं का रुख
बीबी जागीर कौर और महेशइंदर सिंह ग्रेवाल जैसे प्रमुख अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल के साथ खड़े रहे तथा अपने कार्यकाल के दौरान सरकार के निर्णयों और कार्यों की सामूहिक जिम्मेदारी स्वीकार की।
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