न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है सरकार : रीजीजू

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न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है सरकार : रीजीजू
Published : Nov 26, 2022, 4:50 pm IST
Updated : Nov 26, 2022, 4:50 pm IST
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Government doing everything possible to strengthen judicial system: Rijiju
Government doing everything possible to strengthen judicial system: Rijiju

रीजीजू ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब कुछ दिन पहले उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उसे संविधान....

New Delhi :   केंद्रीय कानून मंत्री किरण रीजीजू ने शनिवार को कहा कि सरकार न्यायपालिका को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और न्यायपालिका के साथ उसके ‘‘बहुत करीबी एवं सौहार्दपूर्ण संबंध’’ हैं।

रीजीजू ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब कुछ दिन पहले उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उसे संविधान के खिलाफ बताया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में उच्चतम न्यायालय में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रीजीजू ने कहा, ‘‘ हम प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार की ओर से एक टीम के रूप में काम करते हैं। ’’.

उन्होंने कहा, ‘‘ हम भारतीय न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और साथ ही भारतीय न्यायपालिका के साथ बहुत करीबी एवं सौहार्दपूर्ण संबंध रखने की भी कोशिश कर रहे हैं।’’

रीजीजू ने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि पिछले दो सीजेआई एन वी रमण और यू यू ललित और मौजूदा सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ-साथ उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ उनके बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध हैं।

केंद्रीय कानून मंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जैसे बड़े देश में अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति को न्याय मिलने की प्रक्रिया गंभीर रूप से चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि कानूनी सेवाओं को समान न्याय प्रणाली की दिशा में अनुरूप बनाने के लिए नए समाधानों को विभिन्न उपलब्ध कानूनी प्लेटफार्मों में उत्पन्न, एकीकृत और इंटरऑपरेट किया जाना है।

उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में जहां 65 प्रतिशत आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और जहां अधिकांश राज्यों में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाएं समझने का माध्यम हैं, न्याय तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने में भाषा कथित बाधाओं में से एक बन जाती है।.

रीजीजू ने कहा कि कानूनी सामग्री और कानूनी शब्दावली आम लोगों की समझ में आने वाली भाषा में उपलब्ध नहीं है।

उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था ताकि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास बढ़े और वे इससे जुड़े हुए महसूस कर सकें।

अब, पूर्व सीजेआई एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाला एक समूह उन शब्दों और वाक्यांशों को सूचीबद्ध कर रहा है, जो सभी भारतीय भाषाओं के करीब एक 'सामान्य मूल शब्दावली' विकसित करने के लिए नागरिक, आपराधिक और संविधान जैसी कानून की विभिन्न शाखाओं में सबसे अधिक बार उपयोग किए जाते हैं। इसकी मदद से अदालतों को स्थानीय भाषाओं में काम करने में मदद मिलेगी।

Location: India, Delhi, New Delhi

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ROZANASPOKESMAN

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