अदालत ने विश्वविद्यालय को पूरी गोपनीयता बनाए रखते हुए छात्रों की पहचान करने और उनके बयान रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया।
अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को गांधीनगर में गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जीएनएलयू) में एक समलैंगिक (क्वीर) पुरुष छात्र के उत्पीड़न और एक छात्रा से दुष्कर्म की दो अलग-अलग घटनाओं को लेकर मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया।
न्यायमूर्ति ए. एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति एम.आर. मेंगडे ने कहा कि ये खबरें ‘‘गंभीर चिंता का विषय उठाती हैं जिनका छात्रों के मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है’’ और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं अकादमिक मामलों के प्रमुख को नोटिस जारी किया।
मीडिया में आई खबरों में विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को निष्क्रिय करने और इसके प्रवक्ता के एक बयान का जिक्र किया गया है जिसमें प्रवक्ता ने छात्रों से औपचारिक शिकायत नहीं मिलने की बात कही है। पीठ ने कहा, ‘‘खबर में औपचारिक शिकायत प्राप्त करने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए किसी कदम का जिक्र नहीं है, जो हमारे विचार में सही दृष्टिकोण नहीं है।’’
अदालत ने विश्वविद्यालय को पूरी गोपनीयता बनाए रखते हुए छात्रों की पहचान करने और उनके बयान रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि छात्रा का बयान कोई महिला सदस्य या विश्वविद्यालय की महिला प्रोफेसर दर्ज करेंगी। अदालत ने कहा कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो कानून के तहत तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाएं।
अदालत ने कहा, ‘‘अगली सुनवाई के दिन अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश की जाएगी। आईसीसी के सदस्यों के नाम भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।’’ अदालत ने छात्रों को होने वाले उत्पीड़न या रैगिंग के मुद्दे से निपटने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए गए मानदंडों या मानक प्रक्रिया या नियमन से भी अवगत कराने को कहा।
अदालत ने कहा कि ये घटना 22 सितंबर के अखबार में छपी जीएनएलयू के दो छात्रों के उत्पीड़न से संबंधित है। पीठ ने कहा, ‘‘पुरुष छात्र का केवल उसके समलैंगिक होने के कारण उत्पीड़न किया गया जिससे उसे मानसिक आघात पहुंचा और अन्य छात्रा ने अपने सहपाठी पर बलात्कार का आरोप लगाया है।’’