असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट के मुताबिक, भारत में 21 से 50 साल की उम्र की महिलाएं आईवीएफ करा सकती हैं।
IVF Treatment: केंद्र सरकार ने दिवंगत गायक सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर के आईवीएफ इलाज के संबंध में पंजाब सरकार से जानकारी मांगी है. बताया गया है कि कानून के मुताबिक 21 से 50 साल की उम्र में आईवीएफ ट्रीटमेंट कराया जा सकता है, जबकि मां चरण कौर ने 58 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया है. इस बीच, आइए जानते हैं कि आईवीएफ तकनीक के बारे में भारत का कानून क्या कहता है और इसका उल्लंघन करने पर क्या कार्रवाई हो सकती है।
आईवीएफ के लिए आयु सीमा
असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट के मुताबिक, भारत में 21 से 50 साल की उम्र की महिलाएं आईवीएफ करा सकती हैं। पुरुषों के लिए इसकी आयु सीमा 21 से 55 वर्ष है। इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए यह कानूनन अपराध है। 2022 में पारित कानून के तहत कड़ी सजा हो सकती है, लेकिन अगर कोई महिला विदेश में गर्भवती है तो वह देश में बच्चे को जन्म दे सकती है।
ऐसे में जो महिलाएं बच्चे पैदा करना चाहती हैं वे विदेश जाने का रास्ता अपना रही हैं। इसके अलावा, भारत में अगर 50 साल से अधिक उम्र की कोई महिला आईवीएफ के जरिए बच्चा पैदा करना चाहती है तो उसे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।
कानून के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई होगी?
गौरतलब है कि इस कानून का पहली बार उल्लंघन करने पर 5 से 20 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 10-20 लाख रुपये तक का जुर्माना और 8 साल तक की जेल हो सकती है.
आईवीएफ तकनीक क्या है?
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से लाखों जोड़ों ने माता-पिता बनने का सपना पूरा किया है। यह उन लोगों के लिए वरदान है जो बच्चे तो चाहते हैं लेकिन प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। आईवीएफ को सरल भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है। आजकल यह टेक्नोलॉजी काफी आम हो गई है। आईवीएफ का उपयोग तब किया जाता है जब या तो प्राकृतिक गर्भधारण नहीं होता है या गर्भधारण के अन्य सभी तरीके असफल हो जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, आईवीएफ का उपयोग उन महिलाओं के मामलों में किया जाता है जिनकी नलिकाएं संक्रमण या अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस प्रक्रिया में महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को लैब में आर्टिफिशियल तरीके से फर्टिलाइज किया जाता है.
और भ्रूण तैयार किया जाता है। जब भ्रूण तैयार हो जाता है तो इसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस तकनीक ने कई जोड़ों को माता-पिता बनने की खुशी दी है और महिलाओं से बांझपन का कलंक दूर किया है।
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