उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी प्रकार का विचलन होने पर सख्ती से संज्ञान लिया जाएगा और इसे संधि भंग करना माना जाएगा।
इम्फाल : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। लगातार तीन दिनों तक राज्य के विभिन्न हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने और राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों से चर्चा के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में शाह ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुईया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति के गठन और हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे के साथ ही राहत और पुनर्वास पैकेज की भी घोषणा की।
शाह ने हिंसा के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय की ओर से ‘जल्दबाजी’ में लिए गए फैसले को दोषी ठहराया और कहा, ‘‘मणिपुर में जारी संकट का एकमात्र समाधान बातचीत है।’’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हिंसा एक अस्थायी चरण था, गलतफहमियां दूर हो जाएंगी... स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने लोगों से अफ़वाहों पर ध्यान ना देने और राज्य में शांति बनाए रखने की अपील की और साथ ही उग्रवादी समूहों को चेतावनी दी कि वे अगर ‘संचालन का निलंबन (एसओओ) संधि’ का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी प्रकार का विचलन होने पर सख्ती से संज्ञान लिया जाएगा और इसे संधि भंग करना माना जाएगा। समझौते की शर्तों का पालन कीजिए।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में हथियारों की जब्ती के लिए पुलिस शुक्रवार से जांच अभियान चलाएगी। शाह ने कहा, ‘‘हिंसा होने के कारण क्या हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है...इन सभी की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि इसकी जांच भारत सरकार की ओर से कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति का गठन भी करेगी, जिसमें कुकी और मेइती समुदायों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा सभी राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि होंगे।
शाह ने कहा कि मणिपुर में सुरक्षा की दृष्टि से काम कर रही विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस के सेवानिवृत्त महानिदेशक कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में एक ‘इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड’ की व्यवस्था की जाएगी।
गृह मंत्री ने यह भी घोषणा की कि मणिपुर में हिंसा के पीछे पांच आपराधिक साजिशों और एक सामान्य साजिश की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी मणिपुर वासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि किसी भी पक्षपात और भेदभाव के बगैर हिंसा के मूल तक जाकर जांच और दोषियों को दंडित करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आगे इस तरह की हिंसा न हो।’’
इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि हिंसा में जान गंवाने वालों के परिजनों को भारत सरकार की ओर से पांच-पांच लाख रुपये और राज्य सरकार की ओर से पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इस दौरान उन्होंने अन्य राहत व पुनर्वास संबंधी घोषणाएं भी कीं। केंद्रीय गृह मंत्री ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि भारत-म्यांमार सीमा मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए दोनों देशों के बीच सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा करने की जरूरत होगी।
ऐसी आशंकाएं हैं कि इस खुली सीमा का इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी और उग्रवादियों की आवाजाही के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों के बायोमेट्रिक्स एकत्र किए जा रहे हैं। शाह ने कहा कि उन्होंने राहत शिविरों का दौरा किया, कुकी और मेइती दोनों नागरिक समूहों से मुलाकात की और शांति प्रक्रिया पर चर्चा की।
उन्होंने दावा किया कि करीब छह साल पहले मणिपुर में सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी ने यह सुनिश्चित किया कि पूर्वोत्तर का यह राज्य बंद, कर्फ्यू आदि से मुक्त रहे।
इस बीच, अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में बुधवार रात संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ बुधवार रात को कुंबी पुलिस थाने के अंतर्गत तांगजेंग में हुई। उन्होंने बताया कि घायलों को इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इंफाल पूर्व जिले के चानुंग में भी भारी गोलीबारी की खबर है। हमें अभी तक वहां से किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली है।’’ सेना और पुलिस छिपे हुए हथियारों के जखीरे के लिए राज्यव्यापी तलाशी अभियान चला रही हैं।
अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन द्वारा निगरानी और सुरक्षा बलों की तैनाती भी जारी है। शाह ने बुधवार को कहा था कि सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने और आंतरिक रूप से विस्थापित सभी लोगों की जल्द से जल्द उनके घरों में वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य के राहत शिविरों में एक दिन पहले मेइती और कुकी दोनों समुदायों के पीड़ितों से मुलाकात करते हुए उन्होंने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार का ध्यान उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करना है।
तीन मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद गृह मंत्री पहली बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर रहे हैं। मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया गया था।
मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है। कुछ सप्ताह की खामोशी के बाद पिछले रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई। अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।