सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि बड़ी संख्या में इस प्रकार के मामले हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं।
Punjab-Haryana High Court News in Hindi: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा व पंजाब सरकारों को 11 महीने पहले आदेश दिया था कि वह कोर्ट को यह बताएं कि उनके पास वाहन हादसों के मुआवजों के कितने केस विचाराधीन हैं। लेकिन सरकारों की तरफ से इस बारे में कोर्ट को कोई जानकारी नहीं दी गई। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा सरकारों को आदेश दिया है कि वह अगली सुनवाई तक कोर्ट के आदेशानुसार कोर्ट में रिपोर्ट दायर करें। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अगर ऐसा नहीं हाेता ताे संबंधित राज्य के परिवहन सचिव कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंगे तथा अपनी चूक के बारे में स्पष्टीकरण देंगे।
हाई कोर्ट ने दिसंबर 2023 में सभी बीमा कंपनियों को दिसंबर 2020 तक लंबित मामलों का एक चार्ट तैयार करने का निर्देश दिया था, ताकि ताकि बीमा कंपनियों द्वारा अपने-अपने स्तर पर मुआवजे का आकलन किया जा सके। इससे यह भी पता चल सकेगा कि कितने केस लोक अदालत में भेजे जा सकते हैं। कोर्ट ने सरकार से भी उनके पास वाहन हादसों के मुआवजों के विचाराधीन केसों की जानकारी मांगी थी।
कोर्ट के आदेश की अनुपालना में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की 19 विभिन्न बीमा कंपनियों ने मामलों की सूचियां दायर कर दी, लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब दायर नहीं किया गया। वाहन हादसों की स्थिति में मुआवजे के भुगतान में देरी ना हो और मोटर वाहन अधिनियम के प्रविधानों को प्रभावी रूप से लागू करने को लेकर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किए थे। निखिल बनाम शिवराज नामक एक मामले में मोटर वाहन हादसे के मुआवजे को लेकर सुनवाई चल रही थी।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि बड़ी संख्या में इस प्रकार के मामले हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं। ऐसे में याचिका लंबित रहते पीड़ित पक्ष को राहत मिले और बीमा कंपनियों की भी राह आसान हो, इसका विकल्प निकालना जरूरी है। हाई कोर्ट ने इस याचिका का दायरा बढ़ाते हुए सभी मोटर वाहन बीमा कंपनियों को याचिका में प्रतिवादी बना लिया था। साथ ही हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ तीनों को याचिका में शामिल कर लिया। बीमा कंपनियों की ओर से याचिका पर जवाब दिया जा चुका है। सभी का जवाब आने के बाद इस समस्या का हल निकालने के लिए हाई कोर्ट सुनवाई को आगे बढ़ाएगा।
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