Punjab-Haryana HC: ट्रायल कोर्ट भगोड़े अपराधी की उपस्थिति की प्रतीक्षा में मामले को 30 दिनों के लिए स्थगित नहीं कर सकता

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Punjab-Haryana HC: ट्रायल कोर्ट भगोड़े अपराधी की उपस्थिति की प्रतीक्षा में मामले को 30 दिनों के लिए स्थगित नहीं कर सकता
Published : Aug 28, 2024, 5:02 pm IST
Updated : Aug 28, 2024, 5:02 pm IST
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Punjab and Haryana High Court: Trial court cannot adjourn the case for 30 days awaiting appearance of declared fugitive criminal
Punjab and Haryana High Court: Trial court cannot adjourn the case for 30 days awaiting appearance of declared fugitive criminal

प्रतीक्षा में मामले को 30 दिनों के लिए स्थगित नहीं कर सकता ।

- भगोड़ा घोषित करने के लिए पहले फरार व्यक्ति के लिए नोटिस जारी कर उसे पेश होने का दिया जाए समय 
-ट्रायल कोर्ट द्वारा नोटिस जारी  किए बगैर भगोड़ा घोषित करने व मामला 30 दिनों के लिए स्थगित करने के आदेश को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने दिया फैसला 

Punjab and Haryana High Court:  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ट्रायल कोर्ट  भगोड़ा घोषित अपराधी की उपस्थिति की प्रतीक्षा में मामले को 30 दिनों के लिए स्थगित नहीं कर सकता । कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 82(2) में फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा के प्रकाशन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

 कोई व्यक्ति जिसके विरुद्ध उसके द्वारा वारंट जारी किया गया है, फरार हो गया है, तो ऐसे में ट्रायल कोर्ट लिखित उद्घोषणा प्रकाशित कर सकता है, जिससे उसे किसी विशिष्ट स्थान पर तथा निर्दिष्ट समय पर उपस्थित होने की आवश्यकता होगी, जो ऐसी उद्घोषणा के प्रकाशन की तिथि से कम से कम तीस दिनों के भीतर होगी। 

भगोड़ा अपराधी घोषित करने के आदेश को रद्द करते हुए जस्टिस एन एस शेखावत ने कहा ट्रायल कोर्ट केवल याचिकाकर्ता की उपस्थिति की प्रतीक्षा के लिए मामले को स्थगित करके समय नहीं बढ़ा सकता है, तथा उसे अनिवार्य रूप से सीआरपीसी के परविधान के अनुसार उसके विरुद्ध उद्घोषणा जारी करके उसका प्रकाशन करना आवश्यक है।

हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में नोटिस को शहर/गांव में किसी प्रमुख स्थान पर सार्वजनिक रूप से नहीं पढ़ा गया, जहां आरोपित आमतौर पर रहता था और उद्घोषणा को विधिवत प्रकाशित नहीं किया गया था। नतीजतन, उद्घोषणा और उसके बाद की कार्यवाही इस कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन थी। इस मामले में याचिकाकर्ता संदीप कौर ने पटियाला कोर्ट द्वारा 2018 में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में उसे भगौड़ा अपराधी (पीओ ) घोषित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का मामला यह था कि वह जमानत पर थी और नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट में पेश हो रही थी, हालांकि, सुनवाई की तारीख नोट करने में हुई गलती के कारण वह एक तारीख को पेश नहीं हो सकी। इसके परिणामस्वरूप, उसकी जमानत रद्द करने का आदेश दिया गया और जमानत बांड राज्य को जब्त करने का आदेश दिया गया और याचिकाकर्ता को 24 अगस्त 2022 के लिए गैर-जमानती वारंट के माध्यम से तामील करने का आदेश दिया गया।

 इसके बाद 25 अगस्त 2022 को याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 82 सीआरपीसी के तहत भगोड़ा घोषित करके मामले को 04 नवम्बर 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया। कोर्ट को बताया गया कि भगोड़ा घोषित करने से पहले उद्घोषणा प्रकाशित कर 30 दिनों का नोटिस नहीं दिया गया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छह सप्ताह की अवधि के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया और कहा चूंकि याचिकाकर्ता पहले से ही जमानत पर था, इसलिए वर्तमान मामले में उसे ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत पर स्वीकार किया जाएगा।इसी के साथ कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत याचिकाकर्ता को भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया था।

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