सरकार ने इस्पात, लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क घटाया

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सरकार ने इस्पात, लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क घटाया
Published : Nov 19, 2022, 5:41 pm IST
Updated : Nov 19, 2022, 5:41 pm IST
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Government reduces export duty on steel, iron ore
Government reduces export duty on steel, iron ore

घरेलू इस्पात उद्योग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने इस्पात उत्पादों और लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क में कटौती की है

New Delhi : घरेलू इस्पात उद्योग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने इस्पात उत्पादों और लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क में कटौती की है जो शनिवार से प्रभाव में आएगी। यह शुल्क छह महीने पहले ही लगाया गया था।

वित्त मंत्रालय ने इस बाबत शुक्रवार देर रात को अधिसूचना जारी की। इसमें बताया गया कि निर्दिष्ट पिग आयरन और इस्पात उत्पादों, लौह अयस्क छर्रों के निर्यात पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। इसके अलावा कम लोहे वाले लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स (जिनमें लौह 58 फीसदी से कम है) पर भी निर्यात शुल्क शून्य किया गया है।

वहीं, 58 प्रतिशत से अधिक लौह वाले लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स पर अब निर्यात शुल्क 30 प्रतिशत कर दिया गया है।

इससे पहले वित्त मंत्रालय ने मई में पिग आयरन और इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क ‘शून्य’ से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया था। इस कदम का उद्देश्य निर्यात को हतोत्साहित करना और दाम नीचे लाने के लिए घरेलू उपलब्धता को बढ़ाना था।

सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, इस्पात उद्योग में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले एन्थ्रेसाइट/पीसीआई, कोकिंग कोल और फेरोनिकेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है, जबकि कोक और सेमी-कोक जिस पर शुल्क पहले शून्य था, अब इन पर इसे बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।

इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की वित्त मंत्री निर्मला सीतारण के साथ इस हफ्ते की शुरुआत में मुलाकात हुई थी जिसमें राजस्व सचिव निर्वाचित संजय मल्होत्रा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक के बाद शुल्क में कटौती का निर्णय लिया गया है।

उद्योग मंत्रालय शुल्क वापसी की मांग कर रहा था और तर्क दे रहा था कि घरेलू उत्पादन के लिए स्थानीय मांग पर्याप्त नहीं है।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मौजूदा उपायों से घरेलू इस्पात उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा और निर्यात भी बढ़ेगा।’’

इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद ने एक बयान में कहा कि स्टेनलेस स्टील और अलॉय स्टील के प्रमुख उत्पादों में बीते कुछ महीनों में मांग तथा निर्यात में कमी आ रही है। अक्टूबर के दौरान इंजीनियरिंग निर्यात 21 फीसदी की गिरावट के साथ 7.4 अरब डॉलर रह गया जिसकी वजह इस्पात और इससे बने उत्पादों के निर्यात में कमी आना है।

उद्योग चैंबर पीएचडीसीसीआई के प्रेसिडेंट साकेत डालमिया ने कहा कि लौह अयस्क और इस्पात से निर्यात शुल्क खत्म करने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और विनिर्माण इकाइयां अपनी उत्पादन संभावनाओं को बढ़ा सकेंगी।

Location: India, Delhi, New Delhi

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