‘कार्बन न्यूट्रल’ होने का मतलब वातावरण में कार्बन उत्सर्जन और इसके अवशोषित होने के बीच संतुलन स्थापित करना है।
इंदौर (मध्यप्रदेश) : इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान परियोजना के तहत कम लागत वाला ‘स्मार्ट’ डीएसएलआर कैमरा उपकरण ईजाद किया है। इसकी मदद से किसी ज्वाला में मौजूद चार रासायनिक तत्वों की तस्वीर बारीकी से एक साथ खींची जा सकती है। अनुसंधान में शामिल आईआईटी इंदौर के एक प्रोफेसर ने बुधवार को यह जानकारी दी।
प्रोफेसर का कहना है कि कैमरा उपकरण का इस्तेमाल वाहनों से लेकर अंतरिक्ष यानों तक के इंजन में सुधार के जरिये वायु प्रदूषण घटाने में किया जा सकता है जिससे भारत को वर्ष 2070 तक ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
‘कार्बन न्यूट्रल’ होने का मतलब वातावरण में कार्बन उत्सर्जन और इसके अवशोषित होने के बीच संतुलन स्थापित करना है। जानकारों के मुताबिक संतुलन का यह उपाय किया जाना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड सरीखी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
आईआईटी इंदौर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर देवेंद्र देशमुख ने‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनके संस्थान ने स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय और अमेरिका के नासा-कैल्टेक के सहयोग से करीब तीन साल के अनुसंधान के बाद कम लागत वाला डीएसएलआर कैमरा उपकरण ‘सीएल-फ्लैम’ विकसित किया है।
उन्होंने बताया कि यह उपकरण केवल एक डीएसएलआर कैमरे का उपयोग करके किसी ज्वाला में चार रासायनिक तत्वों की कई वर्णक्रम वाली त्रिविमीय तस्वीर एक साथ खींच सकता है, जबकि अभी तक इस वैज्ञानिक छायांकन के लिए चार कैमरों वाले जटिल तंत्र की आवश्यकता होती थी।
देशमुख के मुताबिक इस उपकरण की खींची तस्वीरों के विश्लेषण से सामान्य वाहनों से लेकर हवाई जहाजों तथा अंतरिक्ष यानों तक के इंजन और कारखानों के बर्नर में ईंधन के दहन से निकलने वाले तत्वों का अध्ययन किया जा सकता है।
अनुसंधानकर्ता के मुताबिक इस अध्ययन के बूते इंजन और बर्नर में जरूरी सुधार कर दहन के दौरान ईंधनों का अधिकतम और पर्यावरणहितैषी दोहन सुनिश्चित हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इंजन और बर्नर की क्षमता बढ़ने से इनमें पेट्रोलियम ईंधनों की खपत घटेगी जिससे कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। नतीजतन हमें 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। ’’
देशमुख ने बताया कि अनुसंधानकर्ताओं के पांच सदस्यीय दल के इस कैमरा उपकरण को विकसित करने में करीब 50,000 रुपये की लागत आई है। उन्होंने बताया कि इस उपकरण को एक स्टार्ट-अप की मदद से बाजार में उतारा जा रहा है ताकि अलग-अलग क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल शुरू हो सके।